changing times
ये शाम जो ढलनेको हैं, जो साल ये गुजरनेको हैं, छाई ये निशा जो हैं, ये रात भी अब पिघलनेको हैं।
फरामोश ये वक्त भी सम्हलनेको हैं, मुस्ताकिर ये ज़मीन भी चलने हैं, ठहरा था जो लम्हा इस जहां, अब वो घड़ी भी बदलने को हैं।
By: kendru
ये शाम जो ढलनेको हैं, जो साल ये गुजरनेको हैं, छाई ये निशा जो हैं, ये रात भी अब पिघलनेको हैं।
फरामोश ये वक्त भी सम्हलनेको हैं, मुस्ताकिर ये ज़मीन भी चलने हैं, ठहरा था जो लम्हा इस जहां, अब वो घड़ी भी बदलने को हैं।