namaz-e-mohabbat
अगर इश्क़ मज़हब होती, और नग़मा-ए-मोहब्बत, इबादत... तो मेरी रगोंमें इबादत बहती, और मेरे लब्ज़ ही ख़ुदा-ए-ज़िक्र रहती।
By: kendru
अगर इश्क़ मज़हब होती, और नग़मा-ए-मोहब्बत, इबादत... तो मेरी रगोंमें इबादत बहती, और मेरे लब्ज़ ही ख़ुदा-ए-ज़िक्र रहती।